सोमवार, 6 जनवरी 2014

सचमुच

दिल जो तेरा मुझे मिल गया होता
सचमुच मैं खुदा ही हो गया होता।
अपना जो मेरा पराया न हुआ होता
चाँद मेरे पहलु में आज सो रहा होता।
कुछ भी नहीं दूर जो मन मिल गया होता
दिल्ली है दूर मुहावरा गलत हो गया होता।
स्वर्ग भी मुझे इतना भी प्यारा न हुआ होता
जो तेरा इक आंसू मेरा माथा चूम गया होता  ।
अक्ल आने पर इश्क़ ने गर दस्तक दी हुई होती
आज इस तरह से अपने हाथ न मल रहा होता। ............. अरविन्द

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