कठिनाइयां बहुत आती हैं रास्ते में
जिंदगी गीत है क्यों नहीं गुनगुनाते हो।
चेहरा मुस्कुराने के लिए मिला है जालिम
क्यों मासूम महबूब को पत्थर बनाते हो ?
थाम लो हाथ रास्ता आसान कर देंगे
क्यों नहीं सहयात्री को हाथ थमाते हो ?
मंजिल जब एक हो ,रस्ते अलग नहीं होते
क्यों इधर उधर अपने पाँव डगमगाते हो ?
तेरे लिए तो खोल दिए है दरवाजे हमने
रौशनी में कदम रखने से क्यों घबराते हो ?………… अरविन्द