सोमवार, 4 अगस्त 2014

तुम्हारे घर के सामने

तुम्हारे घर के सामने बैठ कर पीयूंगा शराब ऐ खुदा
तुम्हें भी पता चले कि तेरी दुनिया कितनी ख़राब है ।
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खुदा के घर के सामने बैठ पीयूंगा शराब।
सुना है बिगड़ों को पहले संभालता है वह।
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शराब न  होती, बड़ा मुश्किल होता जीना
उसने मुश्किलें दीं ,शराब ने आसां कर दिया।
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तेरी मस्जिद के बाहर बैठ नित शराब पीता हूँ
तू मुझे बना कर भूल गया ,मैं तुम्हें पीकर भूलता हूँ । ………अरविन्द

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