उर्दू भाषा में जिसे शेर कहते हैं उसे हिंदी में क्या कहें -----कोई तो बताये रे !
आँखें ही नहीं बोलतीं सिर्फ मुहब्बत में
स्पर्शों का भी अपना अंदाज़े बयां होता है।
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प्यार के झुटपुटे में क्या कहें जनाब
हाथ अपनी शरारतों से बाज़ नहीं आते।
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कहाँ शिखरों पर थे ,कहाँ अब धूल में हैं
मीडिया भी सिर पर उठा कर पटक देता है।
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कहाँ क्या कहें और कहाँ कुछ न कहें हम
कुछ संबंध हैं जिनमें शब्द तराशे नहीं जाते। ………… अरविन्द
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