गुरुवार, 2 जनवरी 2014

मौन !

मौन !
मौन मुक्ति की भाषा , आत्म का उद्गाता है .
मौन सत्य सौंदर्य विभूषित मौन तत्व त्राता है।
ज्ञान उतरता मौन तत्व में साक्षात्कार प्रदाता है।
प्रेमी में ही मौन सम्भव है मौन सर्व सुख दाता है।
मौन नहीं रह पाता जो, खाली बर्तन कहलाता है।
प्रभु उतरता परम मौन में ध्यान मौन रत राता है।
मौन मुनि का पथ प्रशस्ता,मौन रहस्य प्रकटाता है।
गुरु की कृपा ,प्रेम प्रभु का ,तभी मौन मिल पाता है।.………अरविन्द  

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