असमर्थता
किसी कूट काव्य की पंक्ति हो तुम ।
आज तक अर्थ ढूंढ़ नहीं पाया हूँ मैं।
किसी कूट काव्य की पंक्ति हो तुम ।
आज तक अर्थ ढूंढ़ नहीं पाया हूँ मैं।
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कण कण में रचा है खुदा ने खुद को
जानता हूँ फिर भी ढूंढ़ नहीं पाया हूँ मैं।
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बुतों को तराशना भी इबादत ही होगी
चाहते हुए भी इन्हें तोड़ नहीं पाया हूँ मैं.............. अरविन्द
जानता हूँ फिर भी ढूंढ़ नहीं पाया हूँ मैं।
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बुतों को तराशना भी इबादत ही होगी
चाहते हुए भी इन्हें तोड़ नहीं पाया हूँ मैं.............. अरविन्द
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