सोमवार, 21 जुलाई 2014

खुदा खुद हैरान है

सच्च से आँख मिलाना कुछ मुश्किल तो है
दिलासे न होते ,तो और भी मुश्किल होती।
-------
चेहरा सकून जिंदगी सब एक जैसे हैं
सच्चाई कहीं और है जो दिखती नहीं है ।
----------
प्यार क्या ? एक बुखार ही तो है
परखने लगो तो  उतरने लगता है।
----------
नजर से ओझल तुम हो नहीं सकते
तोहमत है कि नजरअंदाज करता हूँ।
---------
जरा -सा टेढ़ा प्रियतम ही प्यारा लगता है
कहीं देखा है बांकेबिहारी को सीधे खड़े हुए ?
----------
खुदा खुद हैरान है दुनिया बना कर
 कहीं नकाब देता है , कहीं बेनकाब करता है।  ………अरविन्द
-------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें