शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2014

क्यों नहीं दिखता

अपरूप से भरी दुनिया में रूप नहीं मिलता
दिल में छिपा है जो बाहर क्यों नहीं दिखता ?....अरविन्द

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