बंदर ---2 .
जहाँ भी देखो आ बैठे हैं बापू के कुछ बंदर
धमा चौकड़ी खूब मचाते बापू के कुछ बंदर
अनुशासन की धज्जी उड़ाते बापू के कुछ बंदर
मेज कुर्सी पर तन कर बैठे बापू के कुछ बंदर
नकली डिग्री ले कर आ गए बापू के कुछ बंदर
अहंकार के भरे गुब्बारे बापू के कुछ बंदर
धोखा देकर चखें मलाई बापू के कुछ बंदर
व्यवस्था को धत्ता बताते बापू के कुछ बंदर
फसल हमारी सारी खा गये बापू के कुछ बंदर
अपनी खों खों आप मचावें बापू के कुछ बंदर
ज्ञानी बन कर रौब जमाबे बापू के कुछ बंदर
दिल्ली के दरबारी बन गए बापू के कुछ बंदर
धर्मों के अधिकारी बन गए बापू के कुछ बंदर
पाठ पढ़ाते ,जाप कराते बापू के कुछ बंदर
रटे रटाये तोते हो गये बापू के कुछ बंदर
तंत्र को अब नोच रहे हैं बापू के कुछ बंदर
गली गली धमकाने लग गए बापू के कुछ बंदर
संस्थायों के नेता बन गए बापू के कुछ बंदर
अध्यक्ष बने मुस्कान भूल गए बापू के कुछ बंदर
काम क्रोड़ में उत्फुल्ल झूलें बापू के कुछ बंदर
सामर्थ्य हमारी हर कर ले गए बापू के कुछ बंदर
जात बिरादरी रौब दिखाते बापू के कुछ बंदर
जनता को धिक्कार रहे हैं बापू के कुछ बंदर .
बापू प्यारे अब ले जाओ अपने प्यारे बंदर ,
बहुत चिढ़ाया और न चिढ़ाओ ले जाओ ये बंदर
आदमियों में घर कर बैठे तेरे ही ये बंदर
पकी पकायी ले कर चाटें तेरे ही ये बंदर
क्या सोच कर ले आये तुम ये तीनों बंदर ?
कैसा बदला लिया तुमने दे दिए ये बंदर ?
तीन नहीं अब अगनित हो गए तेरे बंदर। ……………अरविन्द
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