मुस्कुरा के जरा इशारा कीजिये
रूठने वालों को निहारा कीजिये। गीतोंमें झिलमिल लाया कीजिये
आँखों का सुरमा चुराया कीजिये .
कंधे पे उनके सिर टिकाया कीजिये
कानों में होले फुसफुसाया कीजिये।
कपोलों पे गिरी लट झुलाया कीजिये
होठों से कभी तो गुदगुदाया कीजिये।
प्यार को प्यार से संभाला कीजिये
दूध को खुद भी तो उबाला कीजये . ………… अरविन्द
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