मौन मनमोहन ...
मेरा मनमोहन मौन ही रहता है .
कभी नहीं किसी को कुछ कहता है .
पलक न झपके ,होंट न झटके .
कभी माथे पर बल नहीं लाता है .
सबकी सहता ,नहीं कुछ कहता -
बस टुक टुक ताकता रहता है .
मेरा मनमोहन मौन ही रहता है .
जीवन जगत को माया माने .
नश्वरता जग की पहचाने .
लूट रहे धरती के धन जो -
उनको भी अपना ही माने .
लुटे हुए किसान रो रहे .
गरीबों का लूट लिया अन्न
सैनिकों का सम्मान लुटा
अबलाओं के लुटे वसन .
लुट गया वह मान पुरातन
लुट गया सुख ,चैन ,अमन .
फिर भी मौन हुए बैठा है
मंदिर में सुंदर मनमोहन .
गुणज्ञ है ,अर्थज्ञ है ,बहुज्ञ है
समदर्शी और सर्वज्ञ है .
बगुले और हंस सब इसके लिए
समान हैं --
मेरा मनमोहन महान है .
शोषित की चीख पर
पीड़ित की पुकार पर
नहीं कभी देता कान है .
सुख दुःख सब समान है .
मौन मनमोहन महान है .
अद्भुत इसकी राज -कला
अद्भुत इसका ज्ञान है .
जहरीली साग सब्जिया
जहरीला हुआ खान पान है
मिट्टी का यह कैसा माधव
नहीं इसे भान है .
बेईमान सब फलें फूलें
ठग सब झूला झूलें
लुटेरों ने बना लिए
ऊँचे भवन ,मकान है
मेरा मनमोहन मौन महान है ......अरविन्द
मेरा मनमोहन मौन ही रहता है .
कभी नहीं किसी को कुछ कहता है .
पलक न झपके ,होंट न झटके .
कभी माथे पर बल नहीं लाता है .
सबकी सहता ,नहीं कुछ कहता -
बस टुक टुक ताकता रहता है .
मेरा मनमोहन मौन ही रहता है .
जीवन जगत को माया माने .
नश्वरता जग की पहचाने .
लूट रहे धरती के धन जो -
उनको भी अपना ही माने .
लुटे हुए किसान रो रहे .
गरीबों का लूट लिया अन्न
सैनिकों का सम्मान लुटा
अबलाओं के लुटे वसन .
लुट गया वह मान पुरातन
लुट गया सुख ,चैन ,अमन .
फिर भी मौन हुए बैठा है
मंदिर में सुंदर मनमोहन .
गुणज्ञ है ,अर्थज्ञ है ,बहुज्ञ है
समदर्शी और सर्वज्ञ है .
बगुले और हंस सब इसके लिए
समान हैं --
मेरा मनमोहन महान है .
शोषित की चीख पर
पीड़ित की पुकार पर
नहीं कभी देता कान है .
सुख दुःख सब समान है .
मौन मनमोहन महान है .
अद्भुत इसकी राज -कला
अद्भुत इसका ज्ञान है .
जहरीली साग सब्जिया
जहरीला हुआ खान पान है
मिट्टी का यह कैसा माधव
नहीं इसे भान है .
बेईमान सब फलें फूलें
ठग सब झूला झूलें
लुटेरों ने बना लिए
ऊँचे भवन ,मकान है
मेरा मनमोहन मौन महान है ......अरविन्द
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