ऍफ़ डी .आई --संसदीय असंसदीयता
आज भारतीय जनतंत्र में प्रजातान्त्रिक मूल्यों के स्थान पर गुटबंदी ,दलबंदी स्वार्थ और प्रतिबद्धता का अनीतिक दृश्य प्रकट हुआ .जीत हार महत्वपूरण नहीं है ..महत्वपूरण है सपा और बसपा का पाखंड ..मुलायम सिंह राजनीतिक कम और सौदेबाज ज्यादा लगा जो राष्ट्र के लिए ठीक नहीं है ...बसपा का आज का चरित्र भारतीय राजनीति का दुर्भाग्य है ...मायावती की अवसरवादिता कोई लुकी छिपी नहीं है ,इस पार्टी के पास दूरदर्शिता का अभाव है ..जब तक ये दोनों राजनीति में रहेंगे भारतीय प्रजातंत्र की भलाई नहीं हो सकेगी ....इन दोनों ने आज राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुँचाया है ...बीजेपी की कुंठित मानसिकता को भी अब समझना जरूरी है क्योंकि इस पार्टी नै उन लोगों और पार्टिओं को कभी करारा जबाब नहीं दिया जो इस पार्टी को सम्प्रदायक कहते हैं ...इस आरोप से बीजेपी को तकलीफ हो न हो पर बहुसंख्यक समाज को तकलीफ होती है ...केवल उतरप्रदेश का ही हित चाहना साम्प्रदायिकता नहीं? .....और विरोध में भाषण देकर पक्ष में वोट डालना क्या राष्ट्र के साथ विश्वासघात नहीं? ....आज प्रजातंत्र नहीं छोटे छोटे दलों का स्वार्थ तंत्र बन गया है ....यह चिन्तनीय है ....हमें सोचना होगा की ये लोग प्रजातंत्र को राजनीतिक और सतात्मक दासता की और लेकर जा रहे हैं .....यह देश और प्रजातंत्र के लिए घातक है .....अरविन्द
आज भारतीय जनतंत्र में प्रजातान्त्रिक मूल्यों के स्थान पर गुटबंदी ,दलबंदी स्वार्थ और प्रतिबद्धता का अनीतिक दृश्य प्रकट हुआ .जीत हार महत्वपूरण नहीं है ..महत्वपूरण है सपा और बसपा का पाखंड ..मुलायम सिंह राजनीतिक कम और सौदेबाज ज्यादा लगा जो राष्ट्र के लिए ठीक नहीं है ...बसपा का आज का चरित्र भारतीय राजनीति का दुर्भाग्य है ...मायावती की अवसरवादिता कोई लुकी छिपी नहीं है ,इस पार्टी के पास दूरदर्शिता का अभाव है ..जब तक ये दोनों राजनीति में रहेंगे भारतीय प्रजातंत्र की भलाई नहीं हो सकेगी ....इन दोनों ने आज राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुँचाया है ...बीजेपी की कुंठित मानसिकता को भी अब समझना जरूरी है क्योंकि इस पार्टी नै उन लोगों और पार्टिओं को कभी करारा जबाब नहीं दिया जो इस पार्टी को सम्प्रदायक कहते हैं ...इस आरोप से बीजेपी को तकलीफ हो न हो पर बहुसंख्यक समाज को तकलीफ होती है ...केवल उतरप्रदेश का ही हित चाहना साम्प्रदायिकता नहीं? .....और विरोध में भाषण देकर पक्ष में वोट डालना क्या राष्ट्र के साथ विश्वासघात नहीं? ....आज प्रजातंत्र नहीं छोटे छोटे दलों का स्वार्थ तंत्र बन गया है ....यह चिन्तनीय है ....हमें सोचना होगा की ये लोग प्रजातंत्र को राजनीतिक और सतात्मक दासता की और लेकर जा रहे हैं .....यह देश और प्रजातंत्र के लिए घातक है .....अरविन्द
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