यां चिन्तयामि
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मंगलवार, 18 दिसंबर 2012
जनून है
इश्क इन्कला
बि
यों
का
ज
नू
न
है
आ
त्म
नही
पर
मा
त्म
का
सकूँ
है !
वह
मेरा
है
या
मेरी
है
न
हीं
जानता
हूँ
दिल
पर
खुदा
खुदा
का
मजबून
है !
आकाश
में
उभरती
हैं
उसकी
परछा
ई
याँ
मेरे
महबूब
का
चेहरा
बहुत
मासूम
है !
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