अंधों की बसती में कोई दर्पण नहीं खरीदता
मत्स्यगंधाओं को सुगन्ध नहीं रुचता .
राजनीति में संवेदना तो आकाशकुसुम है
सिकता को पीस कर तेल नहीं मिलता .
मध्यवर्ग संभालता मूल्य और चरित्र को है
उच्च और नीच में यह फूल नहीं खिलता .
दूसरों को शिक्षा देना बहुत ही आसान है
कुत्ते की पूँछ कोई सीधी नहीं करता .
जिसने खो दिए गुण, धर्म ,करुणा, प्रेम
उस घर में अब मानव नहीं जन्मता .
दानवों की नगरी में वही तो सुरक्षित आज
विष से विष का उपचार जो है करता .
कांटा भी जरूरी है फूलों की सुरक्षा हेतु
तनया की देह में हो ज्वालामुखी धधकता .
मत्स्यगंधाओं को सुगन्ध नहीं रुचता .
राजनीति में संवेदना तो आकाशकुसुम है
सिकता को पीस कर तेल नहीं मिलता .
मध्यवर्ग संभालता मूल्य और चरित्र को है
उच्च और नीच में यह फूल नहीं खिलता .
दूसरों को शिक्षा देना बहुत ही आसान है
कुत्ते की पूँछ कोई सीधी नहीं करता .
जिसने खो दिए गुण, धर्म ,करुणा, प्रेम
उस घर में अब मानव नहीं जन्मता .
दानवों की नगरी में वही तो सुरक्षित आज
विष से विष का उपचार जो है करता .
कांटा भी जरूरी है फूलों की सुरक्षा हेतु
तनया की देह में हो ज्वालामुखी धधकता .
अरविन्द गज़ल
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