मन निर्मल चित निर्मल हो व्यवहार
निर्मलता में पाइये अपने मन का यार .
मूर्ति में न मिला न मिला तीर्थ बाज़ार
जब भी उसको पाया भीतर आँख पसार .
न ध्यान न ज्ञान न कर्मकाण्ड की बात
वह तो प्यारा प्यार का पाओ ताको जाग .....अरविन्द
निर्मलता में पाइये अपने मन का यार .
मूर्ति में न मिला न मिला तीर्थ बाज़ार
जब भी उसको पाया भीतर आँख पसार .
न ध्यान न ज्ञान न कर्मकाण्ड की बात
वह तो प्यारा प्यार का पाओ ताको जाग .....अरविन्द
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