माधव !करो कृपा की कोर .
भटक रहा हूँ भवसागर में नहीं मिला है छोर .
छोटे छोटे पापी तुम तारे अब मेरी और निहोर .
पकड़ हमारी बहियाँ कृष्ण देख लेओं तेरा जोर .
मन्त्र न जानूं तंत्र न जानूं न जानूं भक्ति प्यारे .
तेरी ओर इकटक निहारों मेरे प्रियतम मेरे दुलारे .
कहे अरविन्द सत लूट के ले गये तेरे पांचों चोर .
अब तो कृपा करो मुरारी छूट रही संसारी की डोर ......अरविन्द
भटक रहा हूँ भवसागर में नहीं मिला है छोर .
छोटे छोटे पापी तुम तारे अब मेरी और निहोर .
पकड़ हमारी बहियाँ कृष्ण देख लेओं तेरा जोर .
मन्त्र न जानूं तंत्र न जानूं न जानूं भक्ति प्यारे .
तेरी ओर इकटक निहारों मेरे प्रियतम मेरे दुलारे .
कहे अरविन्द सत लूट के ले गये तेरे पांचों चोर .
अब तो कृपा करो मुरारी छूट रही संसारी की डोर ......अरविन्द
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