गुरुवार, 29 मई 2014

ऑस्ट्रेलिया ---5

ऑस्ट्रेलिया ---5
हमें ईशान की बुआ के घर जाना था। वे मेरे लिए अपरिचित थीं ,न बच्चों को जानता था ,न परिवार को परन्तु उनसे मिलने की इच्छा थी क्योंकि ईशान और उनकी बच्चियाँ आपस में बहुत घुले मिले थे। हम उनके घर पहुंचे और अपनी भाषा में बातें करने का सुख लिया। दूर ,विदेश में ,कहीं कोई अपने देश का और अपनी भाषा का मिले ,तो ऐसे लगता है जैसे बड़े दिनों के बाद दिल की खिड़की को खोल कर ताज़ी हवा का झोँका मिला हो।
    उनके बच्चे भी मिले, तो मैं उनसे उनकी पढाई के विषय में जानने के लिए बातें करने लगा। उनकी बड़ी लड़की आशी आठवीं कक्षा में पढ़ती है। मैंने उससे जब किताबें देखने के लिए मांगीं तो पता चला कि यहां किताबें केवल स्कूल में ही होती हैं। बच्चों को विकसित करने के लिए उन्हें पूरी स्वतंत्रता है। हमारे स्कूलों की तरह उनके कोमल कन्धों पर ,भारी भारी बस्तों का बोझ नहीं है। मेरे मन में यहां की शिक्षा व्यवस्था को जानने की इच्छा हुई ,तो पता चला कि छोटे बच्चों के लिए यहाँ चाइल्ड केयर सेंटर हैं ,जिनमें बच्चों की ज्ञानेन्द्रियों को विकसित करने के लिए  रचनात्मक खेल ही एकमात्र शिक्षा है। खेल खेल में उन्हें अक्षर ज्ञान ,गिनती आदि सिखाई जाती है। जबकि हमारे यहां ऐसा नहीं है।
      भारत के कान्वेंट स्कूलों में भी यह पद्धति अपनायी नहीं जाती। मैने कान्वेंट स्कूल के बच्चों के माता और पिताओं को बच्चों के गृह -कार्य में व्यस्त देखा है और यहां बच्चो को घर के लिए कोई काम ही नहीं दिया जाता। उनके दैहिक ,मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए बिलकुल भिन्न पद्धति है। हमारे यहां शिशु -शिक्षण में सकारात्मकता कम और निषेध ज्यादा हैं। यहां निषेध है ही नहीं।
       बातचीत में बच्चों से कैसे वार्तालाप करना है --इसके लिए भी यहां माता -पिता के लिए डिश संकेत हैं। वार्तालाप के विभिन्न सन्दर्भ इतने  सकारात्मक हैं कि बातचीत के चार वर्ग निश्चित किये गए हैं। यहां की शिक्षा -नीति ने परिवार में ,पठन -पाठन में ,खेल में बच्चों से कैसे बात करनी है और कौन कौन से वाक्य बोलने हैं --इसकी भी शिक्षा माता -पिता को दी जाती है। बच्चों को कुछ सिखाने से पूर्व माता -पिता को सिखाया जाता है ,ताकि बच्चों में ,उनके व्यक्तित्व में कोई नकारात्मकता विकसित न हो सके। घरों में कौन कौन से वाक्य बोलने हैं ,वे सभी लिख कर दिए जाते हैं। उन्हें ही यहां लिख रहा हूँ ताकि हम तुलना कर सकें।
                75 ways to encourage children
In the family----1.Please, 2, Thank you, 3, How thoughtful, 4, You are the bees knee!,
5, I love you , 6, What a lovely smile 7, Thank you for sharing 8,You are the great help ,9, Let"s make dinner, 10, I am very proud of you, 11, That was a kind thing to do , 12, You are being very gentle, 13, I like being with you ,14, I like doing things together, 15, Lets take turns, 16, You are playing so well with your brother/sister,
17, You did a great job with your chores, 18, How was your day.
b)---With friends--
19, You are fun to be with, 20, You are being a wonderful friend , 21, That"s excellent sharing! 22, Being together is great , 23 , Your friend is being very caring .
Reading and Language----
  24, This is my favourite book too . 25. Lets read together. 26. What an imagination .
27. What do you think about that . 28. Brilliant idea ! 29. That was very polite. 30. Well spoken . 31. You choose a book . 32. Shall we read together ? 33. I would love to read you a story.  34 . lets sing a song . 35. What"s your favourite book ? 36. What a funny joke 36. Can you tell me a story .
                                                                      -----cont.

        
       

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