दर्दे -दिल की दुवा है गज़ल
समुद्र सी लहराएगी गज़ल .
मेरी मेरी मेरी कब तक करेंगे
सिर्फ तेरी तेरीहै हमारी ग़जल .
हँसना रोना या कल्पना ही नहीं
अपने खोने की चाहत है ग़जल .
बहकने की हमें कोई आदत नहीं
गिरतों का सहारा होती है गज़ल ......अरविन्द
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