कविता कान्तासम्मित उपदेश है .
कविता कोई चाबुक नहीं
क्रांति का भावुक मुक्त सन्देश है .
कविता कोई खिझी दुखी अध्यापिका नहीं .
मुस्कुराती कामायनी प्रिया का गीत है .
कविता ,मंच पर सजे संवरे बैठे
किसी लफ्फाजी साधू का --
श्रोताओं को प्रसन्न करने का
प्रवचन नहीं .
अनुभवसिद्ध मन का सत्य प्रकाश मीत है.
कविता को केवल शब्द जाल समझाने वाले सुनो .
कविता भोगे गए दारुण दर्द की
आत्मगत चीख है .
धरती की पर्त को धकेल .
कोंपल का रूप लिए प्रकटी
दबे हुए बीज के संघर्ष की
प्यारी सी रीत है .
कोमल कांता के मृदुल अंक में
मुहं छिपाए प्रिय की
मधुर प्रीत है .
बलिदान के लिए निकले
युद्ध वीर का --
कविता उच्च गीत है ...अरविन्द
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