दर्द ऐसे कि सुनाये नहीं जाते
आघात हैं कि सहे नहीं जाते . कदम अब उठाये नहीं जाते ।
प्यार की चिड़िया मौन है यह
नुचे पंख दिखाए नहीं जाते ।
पत्थर ही पत्थर मिले हैं हमें
रिस रहे जख्म छुपाय न जाते ।
ज्ञान विज्ञान सब अज्ञान यहाँ
बूढ़े तोते समझाए नहीं जाते ।
फोड़ लिया माथा हम बेचारों ने
अब ये धक्के खाये नहीं जाते ।
किसी को कुछ क्यों कहें अब हम
लूट ले गये जो भुलाये नहीं जाते।
अपनी अपनी पड़ी है अपनों में ही
पक्के हैं रंग ये मिटाय नहीं जाते। …………अरविन्द
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें