सोमवार, 17 मार्च 2014

दर्द ऐसे

दर्द ऐसे कि सुनाये नहीं जाते
आघात हैं कि सहे  नहीं जाते .
कब होगी पहाड़ सी यात्रा पूरी 
कदम  अब उठाये नहीं जाते ।
प्यार की चिड़िया मौन है यह
नुचे पंख  दिखाए नहीं जाते ।
पत्थर ही पत्थर मिले हैं  हमें
रिस रहे जख्म छुपाय न जाते ।
ज्ञान विज्ञान सब अज्ञान यहाँ
बूढ़े तोते समझाए नहीं  जाते ।
फोड़ लिया माथा हम बेचारों ने
अब ये  धक्के खाये नहीं जाते ।
किसी को कुछ क्यों कहें अब हम
लूट ले गये जो भुलाये नहीं जाते। 
अपनी अपनी पड़ी है अपनों में ही
पक्के हैं रंग ये मिटाय नहीं जाते। …………अरविन्द



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