कविता में उपदेश ,उपदेश में कविता है
कविता में है बोध ,बोध में कविता है ।
कविता है निस्वार्थ प्रेम ,प्रेम ही कविता है
कविता सुखद सौंदर्य ,सौंदर्य ही कविता है।
कविता नृत्य तरंगिनी ,कविता उसकी भविता है।
कविता सम्बन्ध मधुर ,कटु भी कविता है।
कविता षोडशी तन्वी ,कविता वृद्धा सविता है।
कविता श्रृंगार की धरा ,सर्व रस रसिका कविता है।
कविता बाल का मन ,खिलती बालिका कविता है।
कविता शोषण रुद्ध ,विरुद्ध भी कविता है।
कविता भोग-सौगात ,विरह का ताप
शुक्लाभिसार देह का रंग, मिलन की बात
खिला वासंत ,वासन्ती संग ,प्रिया की रात ,
मधुर मन तात ,उडीक -संताप ,
कृशा सी देह ,आह का मेह ,रास की भोर
प्रणय गभीर ,संध्या के तीर ,चिहुँक भी कविता है।
छनकती पायल ,खनकता कंगन ,
तवे की रोटी ,आँख का मोती ,
लरजती कटि ,स्वेद के कण ,
फिसलती चुनरी ,कुंतल मन -जगाता तन
अबोले बोल ,आमंत्रण अनमोल ,
बालिका की जाग ,जगा दीपक बेहाल।
रक्तिम सी लाज , विहग विहाग
लोरी की तान ,मधुर मुस्कान
पूर्व राग आनंद ,प्रतीक्षित मन भी कविता है।
-------------------2 -----------------------------------अरविन्द
( सम्भावना है यह भाव एक लम्बी कविता का रूप लेगा। शेष फिर। )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें