मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

बाबा जी का ठुल्लु

बाबा जी का ठुल्लु
देखा नहीं ,जाना नहीं
हँसते हंसाते बना गया
हम सबको उल्लू। .
वाह ! बाबा जी का ठुल्लु !
भोली भाली जनता को
लूट के ले गए नेता जो
मिलता नहीं कहीं उन्हें
पानी भर का चुल्लू
बाबा जी का ठुल्लु !
सर्दी ठिठुराने को आयी
बिजली बिल ने चपत लगायी
ढूंढ ढूँढ कर थक गये हम
मिला नहीं कहीं --
कम्बल कुल्लू।
बाबा जी का ठुल्लु !
मित्र हमारे जितने प्यारे
आँखें फाड़े हमें निहारें
दूर दूर से सैन करें सब
घर में मिलते ताला मुल्लू
बाबा जी का ठुल्लु !
जितने तेल लगाये सारे
उड़ गए लम्बे बाल हमारे
चांद चाँद सा चमक रहा है
अब इस पर मारें बच्चे टिल्लू
वाह ! बाबा जी का ठुल्लु !............. अरविन्द





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