बहुत बुरा लगता है
जब कोई छोटा आदमी जब पढ़े लिखे लोग
कुर्सी के जोर पर
धमकाता है,
अपने अधीनस्थों पर घिघियाता है
पढ़े लिखे लोग पूंछ दबाये
गर्दन झुकाये
चुपचाप लुटे पिटे निकल जाते हैं।
बहुत बुरा लगता है .
क्योंकि यही छोटा आदमी उनका आदर्श है
इसकी कमीनी चालाकियों को
ये लोग बड़ी बारीकी से देखते हैं
उसके द्वारा फैंके गए टुकड़ों को
बड़े प्रेम से सहेजते हैं,
अपने से छोटों के ऊपर
आँखें तरेरते हैं
उन्हें अपने झुण्ड में शामिल करते हैं
रक्तबीज इसी तरह बढ़ते हैं।
संस्थाओं में नित नए पाप फलते हैं।
बहुत बुरा लगता है। ………………… अरविन्द
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