गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

बहुत बुरा लगता है

बहुत बुरा लगता है
जब कोई छोटा आदमी
छोटी नीयत और
छोटी मंशा का आदमी
बड़ी कुर्सी पर बैठ
छोटे काम करता है।
बहुत बुरा लगता है।
बहुत बुरा लगता है-
 जब पढ़े लिखे लोग
अकारण भयभीत हो कर
अन्याय के पक्ष में खड़े होकर
बड़ी कुर्सी पर बैठे
छोटे आदमी की हाँ में हाँ मिलाते हैं
और उस छोटे आदमी की
पहाड़ जैसी गलतियों को
ढ़ोने  के लिए
अपने कंधे लगाते हैं।
बहुत बुरा लगता है।
आदर्शों के मुखोटों में छिपे
लालची कुत्ते मुस्कुराते हैं।
बहुत बुरा लगता है।
छोटा आदमी कुर्सी पर बैठ कर
कुर्सी के जोर पर
धमकाता है,
अपने अधीनस्थों पर घिघियाता है
पढ़े लिखे लोग पूंछ दबाये
गर्दन झुकाये
चुपचाप लुटे पिटे निकल जाते हैं।
बहुत बुरा लगता है .
क्योंकि यही छोटा आदमी उनका आदर्श है
इसकी कमीनी चालाकियों को
ये लोग बड़ी बारीकी से देखते हैं
उसके द्वारा फैंके गए टुकड़ों को
बड़े प्रेम से सहेजते हैं,
अपने से छोटों के ऊपर
आँखें तरेरते हैं
उन्हें अपने झुण्ड में शामिल करते हैं
रक्तबीज इसी तरह बढ़ते हैं।
संस्थाओं में नित नए पाप फलते हैं।
बहुत बुरा लगता है। ………………… अरविन्द







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