भारत के लोकतंत्र के तीन बचे आधार
गरीबों को मुफ्त अन्न ,पैसा और शराब।
नेता हमारे खो चुके सब दीन ,धर्म ईमान
शराब पिला कर जीतते सांसद हैं बेईमान .
जनता भूखी लालची बेच रही निज वोट
नेता तो सब गिद्ध हुए लोकतंत्र का खोट।
जैसे लोगों के कर्म हैं वैसा होगा भाग्य
बेच दिया है देश को यही बड़ा दुर्भाग्य।
देशभक्ति दफ़न हुई चुनाव तंत्र लाचार
मन के रुग्ण नेता हुए दुष्टों कि भरमार।
कैसे हम जी पायंगे कैसे बच पाये ये देश
बाढ़ खा रही देश को ,मचा चतुर्दिक क्लेश ………… अरविन्द
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