मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

खुल कर खूब हँसे हम .

कुर्सी पर टटुआ आ बैठा
खुल कर खूब हँसे हम
व्यवस्था का उठा जनाजा
खुल कर खूब हँसे हम।
चोर चोर मौसरे भाई
मिल बैठ चखें मलाई
घात लगा के माल उड़ाते
बचा नहीं पाए अपना धन
खुल कर खूब हँसे हम।
भोले भाले साधु बनकर
लुच्चे ही अब अच्छे बनकर
टुच्चे सारे गुच्छे ले गए
कुर्सी पर आ बैठे धम धम
खुल कर खूब हँसे हम .
कैसी लीला तेरी प्यारी
कौए ने पिचकारी मारी
गोपी हुई बेहाल बेचारी
उल्लू खा गये माखन सारी
टुकुर ताकते रह गये हम
खुल कर खूब हँसे हम .
प्रमाण पत्र ले झूठे सारे
श्वेत केशी अध्यापक न्यारे
गंभीर मुखौटे भर ले गये लोटे
शिक्षक बन शौषण हैं करते
नियम कर दिए सारे दफ़न
खुल कर खूब हँसे हम।
तिलक लगाये धूनी रमाते
इच्छा पूरी के वारदाते
कृष्ण रूप ले रास रचाते
काम प्यारा चाम दिखाते
राम नाम की चादर ओढ़े
छुरी दिखाते चम चम चम
खुल कर खूब हँसे हम। ……. अरविन्द

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