बस ! यही तो अब रोना है
दागियों का सांसद होना है
कक्षा में नहीं आते विद्यार्थी
अध्यापकों का जादू टोना है .
महंताई के लिए तड़पते साधू
मुफ्त के माल से भरा दोना है
रावणों में राम को तलाश रहे
कवियों के चमत्कार का रोना है
स्कूलों में कुटिलता पढ़ा रहे
प्रिंसिपलों का अप्रिंसिपल होना है ......अरविन्द
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