गुरु ने खोल ली दुकान
देखो बिक रहा भगवान् ।
राम मिलेगा ,श्याम मिलेगा
गोपी वल्ल्भ कान्ह मिलेगा
अर्जुन दिया ज्ञान मिलेगा
राधा बनो भगवान् मिलेगा
गुरु को सब कुछ जान।
कर्म काण्ड तुम त्यागो प्यारे
पाप पुण्य भय तज लो सारे
यज्ञ ,हवन सब झूठे हैं प्यारे
गुरु का पल्ला पकड़ो हे प्यारे
इसमें छिपा हुआ भगवान्।
पुत्र चाहिए ,तो पुत्र मिलेगा
चित्र सजाओ व्यापार चलेगा
सर्वस्व गुरु के अर्पण कर दो
स्वर्ग तुम्हारे द्वार खिलेगा
फल का दान करे महान।
नाम दान लो ,भंडार खुला है
त्रिकुटी खुलेगी स्पर्श मिला है
सातवें द्वार तक ले जायेंगे --
दसवें द्वार गुरु रूप खड़ा है।
जो यह बोले सच्च मान।
प्रश्न करेगा ,गिर जाएगा
जिज्ञासा , तिर न पायेगा
प्यार करेगा भर जाएगा -
प्यार करेगा भर जाएगा -
गुरु दुविधा से पार करेगा।
प्रभु का रूप तू पहचान।
चरणों में सतलोक पड़ा है
गोदी में तो कृष्ण खड़ा है
हाथों की कोमलता में तो -
सुख सौंदर्य अपार खिला है।
गुरु में छिपा हुआ भगवान्।
-----------------अरविन्द -------------
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