यां चिन्तयामि
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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014
आने दो
आने दो चिरागों की यह रौशनी अभी कुछ देर और
अंधेरों ने नहीं मुझे दुनिया की तंगदिली ने रोका है । …अरविन्द
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