गुरुवार, 25 सितंबर 2014

बरसात ने आकर
मैदान में अकेले खड़े
रावण के कागजी पुतले को
भिगो दिया ।

वह प्रतीक्षा में है
अब अग्नि दाह
कोई कैसे करेगा।

इस कागजी रावण को भी
राम की प्रतीक्षा है ।
इसीलिए तो हर बर्ष
जलने के लिए
मैदान में आ धमकता है।

राम नहीं आ रहे
वे भी
अपने पुतलों को ही
भेज देते हैं ।

रावण भी राम की
प्रतीक्षा में है ।
राम भी संसार में
कहीं खो चुके
रामत्व को ढूंढ़ रहे हैं ।....अरविन्द

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