भारत वर्ष में आ गये ,नहीं मिला आराम ।
जगह जगह है गंदगी,तड़प रहा भगवान।।
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मक्खी मच्छर भिनकते, काक्रोच भरमार।
भ्रष्टाचारी सज रहै, हर कुर्सी पर आज।।
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मुल्क बहुत बीमार है, जनता है लाचार।
रास्ता नाहीं सूझता, कैसे करें उपचार।।
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रब्ब आसरे मुल्क हुआ, रब्ब आसरे लोग।
रब्ब बेचारा क्या करे,मिले मिलावटी भोग।।
--------अरविन्द दोहे------------
जगह जगह है गंदगी,तड़प रहा भगवान।।
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मक्खी मच्छर भिनकते, काक्रोच भरमार।
भ्रष्टाचारी सज रहै, हर कुर्सी पर आज।।
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मुल्क बहुत बीमार है, जनता है लाचार।
रास्ता नाहीं सूझता, कैसे करें उपचार।।
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रब्ब आसरे मुल्क हुआ, रब्ब आसरे लोग।
रब्ब बेचारा क्या करे,मिले मिलावटी भोग।।
--------अरविन्द दोहे------------
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