मंगलवार, 15 जनवरी 2013

प्रभु का रंग न्यारा

मित्रो !प्रभु का रंग  न्यारा
रूप न होवे रूप न खोवे रूपातीत प्यारा .
अंजलि में तुरत समावे सागर सा है गहरा .
माला पहरी मुद्रा पहरी नाहिं मिले किनारा .
चन्दन तिलक बनायो कहाँ उसका लिलारा .
मूंड मुंडाई जटा बढाई पकड़ न पायो पारा
पानी पूजा पाथर पूजा पूजा ठाकुरद्वारा .
तीर्थ ब्रत नेम सब कीने नाहिं तत्व विचारा .
कैसे तुम तक पहुँचों घट में घट  से न्यारा
गहन गंभीर अरविन्दन साईंयां मेरा प्यारा ....अरविन्द

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