झूठ कहते हैं कि आदमी में ईश्वर का वास है ,
असभ्य जंगली जानवर आदमी का आवास है,
क्रूरता ,पशुता ,आक्रमण ,भय और आतंक में
कंठी ,तिलक ,छाप ,माला छद्म परिहास है
यह तरक्की दीखती जो जगत के आकाश में
विज्ञान के प्रकाश में ,ज्ञान के आभास में --
अहंकार के परचम लहरा रहा है आदमी .
दंभ और पाखण्ड मिले हैं इसे अभिशाप में
अभिशप्त से करुणा ,कृपा ,प्रेम की इच्छा ?
सहानुभूति ,दया ,ममता ,परमार्थ की इच्छा ?
आकाश कुसुम मिला क्या कभी आकाश में ,
नहीं रह सकता ईश्वर इस आदमी के पास में!
ईश्वर बेबस ,असहाय ,मौन कर बद्ध नहीं,
असभ्य जंगली जानवर आदमी का आवास है,
क्रूरता ,पशुता ,आक्रमण ,भय और आतंक में
कंठी ,तिलक ,छाप ,माला छद्म परिहास है
यह तरक्की दीखती जो जगत के आकाश में
विज्ञान के प्रकाश में ,ज्ञान के आभास में --
अहंकार के परचम लहरा रहा है आदमी .
दंभ और पाखण्ड मिले हैं इसे अभिशाप में
अभिशप्त से करुणा ,कृपा ,प्रेम की इच्छा ?
सहानुभूति ,दया ,ममता ,परमार्थ की इच्छा ?
आकाश कुसुम मिला क्या कभी आकाश में ,
नहीं रह सकता ईश्वर इस आदमी के पास में!
ईश्वर बेबस ,असहाय ,मौन कर बद्ध नहीं,
पाखण्ड पूजा अर्चना ,पाखण्ड इसके पाठ हैं
दो लोटा जल ,खंडित पुष्प कर में लिए
चढ़ पहाड़ों के शिखर पर नाचता .
विक्षिप्त नर ऐसे में कैसे रह सके परमात्मा
हवा बहती , किरण बहती , जल नहीं रुकता .
परमात्मा को योग ,जप ,तप ,यज्ञ न चाहिए
पेड़ में ,हर पत्ते में है ईश्वर का वास .
प्रेम सागर सा उदारता आकाश सी चाहिए
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