मुझसे मेरा हाल न पूछ .
साधारण के जंजाल न पूछ .
संन्यासी ही अब चोर लगे हैं
पाखंडी पूजा की राल न पूछ .
चापलूसों की दुनिया है यह
गुण का यहाँ ख्याल न पूछ .
हर तुक पर वाह वाही चाहें
कविता हुई कंगाल न पूछ .
मंदिर में पत्थर बन बैठा है
भूल गया प्रभु चाल न पूछ .
भांड सभी उपदेशक हो गए
लुट गया सारा माल न पूछ ....अरविन्द
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