गुरुवार, 2 मई 2013

जीवन न तृप्ति, न प्यास .

जीवन न तृप्ति, न प्यास .
 जीवन न मुक्ति न भास् .
जीवन न भुक्ति ,न त्रास .
जीवन अनसुलझी सी आस ,
जीवन न तृप्ति ,न प्यास
जीवन नहीं कोई दौड़ धूप
जीवन नहीं कोई अंध कूप .
जीवन उथला सरवर नाहीं
जीवन है उसकी  परछाईं .
जीवन तो है शांत विलास
जीवन न तृप्ति ,न प्यास .
जीवन नाहीं धूप अरु छाया
जीवन नाहीं ताप अरु ताया
जीवन नाहीं भ्रम अरु माया
जीवन नाहीं भूत का साया
जीवन नाहीं भावी अनपाया
जीवन  तो  है  लासोल्लास 
जीवन न तृप्ति ,न प्यास .
जीवन को जो दुःख मानते -
जीवन का नहीं सत्य जानते .
अनुभवों की बृहत् श्रृंखला में 
अनुभूतियों की वास सुवास .
जीवन न तृप्ति ,न प्यास ....अरविन्द 


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