रविवार, 19 मई 2013

अरविन्द पहेलियाँ

अरविन्द पहेलियाँ
एक घड़ा जिसमें है छेद
फिर भी खाए भर कर पेट .
पास नहीं कुछ रख पाता -
ओंधे मुहं फिर गिर जाता .
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२ .नार एक नवेली है .
नीचे ऊपर जाती है .
पकड़ती हाथ सभी का है .
गिरने नहीं दे पाती है .
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३ . सबको शिक्षा देता है
     खुद कोरा रह जाता है .
     दूध मलाई खाता है .
     सबको स्वर्ग दिखाता है .
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4 . जब आवे शीतलता लावे .
     सबहिं कलेजे सुख  छावे .
     पूरा घर हर्षित घूमे गावे .
     आँख का तारा कहलावे .
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5 . न चूहा न खोह है .
     खा गयी सारा देश .
     बतलाओ कौन वह .
     जिससे हुआ क्लेश .?
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6 . खचर खचर सुत खचरा है 
     खचर खचर संग लड़ता है .
     खचर खचर को मृत्यु दे .
     फिर खचर स्वयं भी मरता  है .
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7 , वह आवे तो तपन को लावे
     क्षपा उसको रता न भावे .
     पतंग बना वह घूम रहा
     सबका माथा चूम रहा ..
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8 . बार -बार नैना मटकावे
     कान खींच इत उत धावे
     कहो कौन वह नित नवेली
     सूनी उसके बिना हवेली ....अरविन्द
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      अमीर खुसरो के बाद से हिंदी साहित्य में पहेलियाँ लुप्त हो गयी हैं .इस विषय पर एक विद्यार्थी ने प्रश्न उठाया तो कक्षा में मैने अपनी पहेलियाँ तत्काल घडीं ..वे उत्तर नहीं दे पाए ....अब आप सबके लिए हैं .....उत्तर देना मत भूलें ..

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