बूझो तो जानें ---
आमिर खुसरो की तरह संतों ने भी अपनी वाणी में पहेलियाँ लिखी हैं ,जैसे --
चार मिले चौबीस खिले ,बीस दिए कर जोर .
सज्जन से सज्जन मिले ,बिहँसत सात करोड़ .
और
भी हैं ,ऐसी पहेलियाँ , जिनसे पता चलता है कि साहित्य कितना अधिक लोक जीवन
के समीप था .इसी परम्परा को पुन: जीवित करने का प्रयास है .--कुछ दिन पहले
भी कुछ पहेलियाँ लिखीं थीं ,केवल हमारे एक ही मित्र ने उनके उत्तर दिए हैं
..हम व्यक्तिगत रूप से आभारी हैं और श्री मदन गोपाल जी का साधुवाद भी करते
हैं जिन्होंने साथ साथ सोचने का प्रयास किया ...हम उन पहेलियों के उत्तर
लिख रहे हैं ताकि मिलान हो सके ...
यात्रा में एक ऐसा साथी चाहिए होता है
जो पूरी तरह साथ भी दे और
पूरी तरह हाथ भी न आये .
यही यात्रा का आनंद है .
उत्तर
---1 , देह , २ . नार का अर्थ ..नाड़ भी है ,इसलिए यहाँ सीढियों पर लटकी
हुई रस्सी अर्थ लेना चाहिए . ३. उपदेशक --पर उपदेश कुशल बहुतेरे . 4 .
पुत्र . ५. भ्रष्ट तंत्र .६ . कर्ण . ७. सूर्य .८ . नवोढ़ा नायिका
......आज फिर कुछ पहेलियाँ लिखेंगे ,उनके बारे में सोचना ...
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