पहेलियाँ
1 . प्रभु को वह लेकर आवे .............................................
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जीवन में रस भरती है .
जिस दिन चुप कर जायेगी .
नींद नहीं खुल पाएगी .
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5. बिल्कुल सीधा साधा है .
दुष्ट उसे न भाता है .
सुरक्षा में सदा सहायी
आगे बढ़ कर करे लड़ाई .
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6. मौका मिलते छुरी चलावे
अपना हित ही उसको भावे .
संकट में न करे सहायता .
पहचान उसे तुम मेरे भ्राता .
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7. दिन में स्वप्न दिखावे जो
रातों को जगावे वोह
हाथ नहीं कभी आवे जो
बूझ इसे जो पायेगा
मित्र वही कहलायेगा .
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8. खिलखिलाता खिलता है .
इतराता झूला करता है .
कुदरत रंग उसे है देती
इठलाता मुस्काता है .
वेणी उसके मन को भावे
हर ललना का जी ललचावे .
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9. प्रथम पाँव पर गिरता है
कानों में रस भरता है .
चुपके से फिर चूंटी काटे
अन्धकार में काटे चाटे ......अरविन्द
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