बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

खुदा झलकता है

अधमुंदी आँखों से ऐसे मत देखा करो
मेरे पास सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं हैं।
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क्यों निहारते हो हमें ऐसी सतरंगी आँखों से
रोयाँ रोयाँ देह का दीये सा जगमगाने लगता है।
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कुछ है कि उनकी आँख में खुदा झलकता है
आदमियों की आँखें इतनी उदार नहीं होतीं। …………अरविन्द

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