मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

बीती हुई बातें

यादों में उमड़ घुमड़ आती हैं बीती हुई बातें
जीना ही मुश्किल कर देती हैं बीती हुई बातें
मन में भटक भटक आती हैं बीती हुई बातें
नींद उड़ा कर ले जाती हैं अब बीती हुई बातें
बीती हुई बातों में आ जाती है याद तुम्हारी
जैसे पुरवा में आ जाती सुगन्धित सी लहरी
फूलों की पत्तियों से लरजते से रक्ताभ होँठ
भटकती हुई उँगलियाँ मचातीं देह पर धौंस।
उमड़ता हुआ बादल पिघल जाता शिखरों पर
छन छन छनकता संगीत युगनद्ध बाहों पर।
ख्यालों में जग जातीं हैं वे रस रास की बातें
यादों में उमड़ घुमड़ आती हैं बीती हुई बातें।.......... अरविन्द
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