गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

आ गया वसंत द्वार पर ।

आ गया वसंत द्वार पर ।

नया रक्त नयी कान्ति
नयी ऊष्मा त्यक्त भ्रान्ति
शारदा अंक में आहूत चित्त
निवेदित मन चाहे निर्भ्रान्त ज्ञान शांति।

वसंत उमंग लसित देह
वसंत संग उल्लास गेह
वसंत जीवन वसंत नेह
वसंत शुभ्र आत्म मेह।
ध्वस्त अज्ञान हो तिमिर पाश हर।
आ गया वसन्त मेरे द्वार पर।

प्रणय निरभ्र सुखद वर
प्राण चित्त मन सब अभय कर
उन्मुक्त हों मोह बंध
अज्ञान के तिमिर अंध
निष्काम काम हो निर्बंध
द्वन्दवग्रस्त मनुज अब
ज्योतित आत्म वरण करे-
सर्वांग सत् आनन्द वर।
आ गया वसंत द्वार पर।......अरविन्द

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