गुरुवार, 29 नवंबर 2012

ज्योतिदीप जगाएं

सम्बन्धों की समीक्षा करें .

प्याज के छिलके उतारें
 कटे तरबूज की फांक में से
काले काले बीज निकालें .
घुटनों से फट गए पाजामे पर
पुरानी टाकी जडें .
या केले के पत्ते पर थिरकती
औस की चमकती बूंद पर चुंधिया रही
आंखें मिचमिचा एँ .

नहीं !
हथेली पर उगी सरसों महसूसें ..मुस्कुराएँ .
अंजलि में समाई कमल सी पंखडियो की ऊँगलिया
माथे से लगाएं .
अंधेरे से खौफ न खाएँ
बुझ रहे मन के गुमसुम कोने में
ज्योतिदीप जगाएं .

आत्मीयता को बाज़ार न बनाएँ ........अरविन्द

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