बुधवार, 14 नवंबर 2012

लुटाने पर आयँ तो लुटा दें

लुटाने पर आयँ तो लुटा दें हम अपनी बादशाहत भी
चाँद और तारों की क्या बिसात की हमारा कहना न मानें .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें