यां चिन्तयामि
Pages
Home
About Me
Contact Me
My Books
बुधवार, 14 नवंबर 2012
लुटाने पर आयँ तो लुटा दें
लुटाने पर आयँ तो लुटा दें हम अपनी बादशाहत भी
चाँद और तारों की क्या बिसात की हमारा कहना न मानें .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें