यां चिन्तयामि
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शनिवार, 17 जनवरी 2015
भरी भीड़ में
भरी भीड़ में अकेले होने का दर्द यही है
दिन बिताये नहीं बीतते साल बीत जाते हैं.। ……अरविन्द
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