शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

समय के प्रवाह में

समय के प्रवाह में
उमंग को उछालता
आ गया नया वर्ष
आनंद को हुलारता।

जिंदगी के गीत में
सुख दुःख संगीत में
हार और जीत में
पुरुषार्थ को पुकारता।

नवीन आशा की तरंग
नयी सुबह हो अभंग
सर्वत्र आत्मीयता को
उपलब्ध हो स्वतंत्र रंग।

उल्लास को संघर्ष को
सर्वजन दुलारता ।
उदित हो नया वर्ष
आनंद को हुलारता।

बाल वृद्ध युवा सब
नयन में उल्लास भर
विगत को विजित कर
आगत को संवारता।

आ गया नया वर्ष
आनंद को हुलारता
पुरुषार्थ को पुकारता
आगत को संवारता। …………अरविन्द

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