आज की कुण्डलियाँ मित्रो ---
1 . आओ मन झरना बनो , लें पर्वत का संग।
पर्वत के तरुओं तले , हो प्रियतम का संग।
हो प्रियतम का संग , मुरलिया सुंदर बाजे।
सुन अन्तर का नाद , कृष्ण को साजें साजे।
कहता है अरविन्द , अरे तुम साज सजाओ।
मनभावन हो आज , प्रियतम शीघ्र तुम आओ।
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2 . जंगल जंगल मन हुआ , डाली डाली फूल।
कित हो मेरे साइंया , रस को मत तू भूल।
रस को मत तू भूल , राधिका कान्ह पुकारे।
मधुवन छाया रास ,कृष्णा तुम्हें निहारे।
कहता है अरविन्द ,माधवी अब हो मंगल।
यमुना गाती राग ,तरंगित तन है जंगल।
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3 . वनवासी मन ढूंढता , उदासीन सा आप।
विषय भोग संसार के ,जगती का संताप।
जगती का संताप ,सहजता सुलभ न आए।
बंधन है अभिशाप ,विकल मन तड़पा जाए।
कहता है अरविन्द ,मुक्ति तरुतल की वासी।
मन वैरागी आज , सुखद जीवन वनवासी।…………अरविन्द
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